पितृ-दोष निवारण के उपाय

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  • ऊँ नमः शिवाय मंत्र का प्रतिदिन एक माला जप करें।
  • रूद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करने से यह योग शिथिल हो जाता हैं।
  • हर पुष्य नक्षत्र को महादेव पर जल एवं दुग्ध चढाएं तथा रूद्र का जप एवं अभिषेक करें।
  • हर सोमवार को दही से महादेव का ‘‘ऊँ हर-हर महादेव‘‘ कहते हुए अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर तांबे का सर्प अनुष्ठानपूर्वक चढ़ाऐ। पारद के शिवलिंग बनवाकर घर में प्राण प्रतिष्ठित करवाए।
  • सर्प सूक्त‘‘ का पाठ भी कालसर्प योग में राहत देता हैं।
  • नाग पंचमी का वृत करेंनाग प्रतिमा की अंगुठी पहनें।
  • नाग योनी में पड़े पित्रों के उद्धार तथा अपने हित के लिए 
  • नागपंचमी के दिन चादी के नाग की पूजा करें।
  • कालसर्प योग यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर नित्य पूजन करें।
  • घर एवं दुकान में मोर पंख लगाये।
  • नारियल का फल बहते पानी में बहाना चाहिए। लाल मसुर की दाल और कुछ पैसे प्रातःकाल सफाई करने वाले को दान करे।
  • पक्षियों को जौ के दाने खिलाने चाहिए।
  • सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण के दिन सात अनाज से तुला दान करें।
  • राहु-केतु की वस्तुओं का दान करें। राहु का रत्न गोमेद पहनें। चांदी का नाग बना कर उंगली में धारण करें।
  • राहू केतु के जपअनुष्ठान आदि योग्य विद्धान से करवाने चाहिए।
  • राहु एवं केतु के नित्य 108 बार जप करने से भी यह योग शिथिल होता हैं। राहु माता सरस्वती एवं केतु श्री गणेश की पूजा से भी प्रसन्न होता हैं।
  • कुलदेवता की पूजा अर्चना नित्य करनी चाहिए।
  • शयन कक्ष में लाल रंग की चादरतकिये का कवरतथा खिड़की दरवाजो में लाल रंग के ही पर्दो का उपयोग करें।
  • वैवाहिक जीवन में बाधा आ रही हो तो पत्नि के साथ सात शुक्रवार नियमित रूप से किसी देवी मंदिर में सात परिक्रमा लगाकर पान के पत्ते में मक्खन और मिश्री का प्रसाद रखें पति पत्नि एक-एक सफेद फूल अथवा सफेद फूलों की माला देवी माँ के चरणों में चढाए।