जीवन में सफलता, सुख, नौकरी और प्रमोशन

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नौकरी पर ही घर-परिवार के सभी सदस्यों का भी जीवन निर्भर रहता है। ऐसे में जॉब का सर्वाधिक महत्व रहता है। कुछ लोगों को नौकरी पाने में या नौकरी में प्रमोशन पाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों के लिए 6 बातें बताई हैं जिनसे आपकी नौकरी और प्रमोशन की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।

चाणक्य कहते हैं कि जीवन में सफलता और सुख वही व्यक्ति प्राप्त करता है जो हमेशा ही चिंतन और मनन करता है। जो निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते रहता है वहीं कुछ उल्लेखनीय कार्य कर पाता है।

इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं-

  • वही व्यक्ति समझदार और सफल है जिसे यहां बताए जा रहे खास छ: बातों के उत्तर हमेशा मालूम रहते हो।
  • अभी समय कैसा है... कोई भी समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान में कैसा समय चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं।
  • हमारे मित्र कौन हैं और शत्रु कौन? यह बात की भी जानकारी हो। हमें मालूम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं? क्योंकि अधिकांश परिस्थितियों में मित्रों के भेष में शत्रु भी आ जाते हैं।
  • व्यक्ति को यह भी मालुम होना चाहिए कि जिस जगह वह रहता है वह कैसी हैं? वहां का वातावरण कैसा हैं? वहां का माहौल कैसा है?
  • व्यक्ति को अपनी आय और व्यय की पूरी जानकारी हो। व्यक्ति की आय क्या है उसी के अनुसार उसे व्यय करना चाहिए।
  • समझदार इंसान को मालूम होना चाहिए कि वह कितना योग्य है और वह क्या-क्या कुशलता के साथ कर सकता है। जिन कार्यों में हमें महारत हासिल हो वहीं कार्य हमें सफलता दिला सकते हैं।
  • व्यक्ति को मालूम होना चाहिए कि उसका गुरु या स्वामी कौन है? और वह आपसे क्या काम करवाना चाहता है? यह मालूम होने पर व्यक्ति वही काम करें जो उसका गुरु या स्वामी चाहता है। ऐसा करने पर व्यक्ति को कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

  • इन छ: बातों का ध्यान रखने पर हमें नौकरी में किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
  • दुर्बल व्यक्ति अपमान करे तो उसे क्षमा कर दें क्योंकि क्षमा वीरों का भूषण है। मगर, अपमान करने वाला बलवान हो तो उसे दंड जरूर दो।
  • मन उपजाऊ खेत की तरह है। जैसा आप उसमें बोएंगे वैसा ही पाएंगे। मन अपने लिए जीवन की राह बनाता है। विचार उस राह की सीमा तय करते हैं।
  • जब तक मन नहीं जीता जाता, तब तक राग-द्वेष शांत नहीं होते। मनुष्य इंद्रियों का गुलाम बना रहता है। मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है।

  • विश्वास कोमल पुष्प नहीं है जो साधारण हवा के झोंके से कुम्हला जाए। वह हिमालय की तरह अडिग है। विश्वास का अभाव ही अज्ञान है।
  • उम्मीद का दामन कभी छोटा मत करो। जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो। रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।
  • माता के समान शरीर का पालन करने वाली, चिंता के समान देह को सुखा देने वाली और विद्या के समान शरीर को अलंकृत करने वाली दूसरी वस्तु नहीं हो सकती।