रामभक्त हनुमानजी धन-संपदा से संबंधित नौ निधियों के दाता



हिन्दू धर्मग्रंथों में 9 निधियों का विस्तार से जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि धन के बिना जीवन के किसी भी आयाम को सार्थक रूप देना संभव नहीं हो पाता है। कहा भी गया है कि 'पहला सुख निरोगी काया/ दूजा सुख घर में हो माया', इसलिए धन यानी लक्ष्मी को धर्म के बाद दूसरा स्थान दिया गया है।रामभक्त हनुमानजी को अष्ट सिद्धि नौनिधि का दाता माना गया है। दाता अर्थात देने वाला। हनुमान के भक्त को जहां अष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं वही श्रेष्ठ और सात्विक निधि का वरदान भी मिलता है। 

हर व्यक्ति के थोड़ा-सा निष्ठापूर्ण परिश्रम करने से, साधना करने से कुछ न कुछ निधियां उसे प्राप्त हो ही जाती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को धन-संपन्न होना ही चाहिए जिसके लिए हर व्यक्ति प्रयत्नशील भी रहता है। नौ निधियों का संबंध मुख्यतः संपदा से ही है। संपदा में चल और अचल संपत्ति होती है।


प्रत्येक व्यक्ति के धन प्रा‍प्ति के साधन अलग-अलग होते हैं और उनका धन कमाने का उद्देश्य भी अलग-अलग होता है। धन कमाने के 3 तरीके हैं- सात्विक, राजसिक और तामसिक। सात्विक तरीके से कमाया गया धन सात्विक फल देता है और तामसिक तरीके से कमाया हुआ तामसिक। हालांकि यहां पर निम्न निधियों का संबंध कमाने के तरीके से नहीं है। तो क्या हैं ये नौ निधियां? और इनके नाम क्या हैंनव निधियां : 1. पद्म निधि, 2. महापद्म निधि, 3. नील निधि, 4. मुकुंद निधि, 5. नंद निधि, 6. मकर निधि, 7. कच्छप निधि, 8. शंख निधि और 9. खर्व या मिश्र निधि। माना जाता है कि नव निधियों में केवल खर्व निधि को छोड़कर शेष 8 निधियां पद्मिनी नामक विद्या के सिद्ध होने पर प्राप्त हो जाती हैं, परंतु इन्हें प्राप्त करना इतना भी सरल नहीं है।