पित्र पक्ष

 
पित्र पक्ष आते ही अपने पितरों के प्रति एक श्रधा भाव मन में जागता है । उन पितरों के प्रति जिनको हम जानते भी है और नहीं भी जांए है लेकिन उनकी वजह से हमारा वजूद इस धरती पर है । यह पितृ पक्ष उन्ही दिवंगत आत्माओं को समर्पित है ।

पितृ पक्ष में दो चीजों का बहुत ही महत्व होता है , एक तर्पण का दूसरा पिंड दान का । तर्पण कोई भी अपने पितृ के प्रति करवा सकता है लेकिन पिंड दान का अधिकार पुत्र या पोता को ही है । पिंड दान के लिए गया जी , पुष्कर, कुरुक्षेत्र का बहुत ही महत्व है । पिंड दान से दिवंगत आत्मा को शान्ति तो मिलती ही है , उसके इलावा हमारा पित्र दोष भी शांत होता है । दिवंगत के लिए उनकी तिथि पर पिंड दान या तर्पण तो महतवपूर्ण तो है ही लेकिन एक और महत्व पूर्ण चीज है पित्र्पक्ष के अमावास को दान देना , क्यों की अमावास को दान सर्वपित्र के लिए दिया जाता है । जो की सब लोगो को देना चाहिए । चाहे छोटा बच्चा हो या बुजुर्ग व्यक्ति । क्यों की इस दान से पितृ दोष नहीं लगता है , जीवन में व्यक्ति निरंतर सफलता प्राप्त करता है । इस दान से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है । वंश वृद्धि होती है , क्यों की ये दान हम जिन पितरों को जानते है या नहीं जानते है उन सब को समर्पित होता है । दान में जों , काला तिल , कुछ सफ़ेद मिठाए, चावल , चीनी , घी, दूध , और खीर बना कर दान दिया जाता है । इस दिन ब्रह्मण को भोजन आवस्य करवाए तथा वस्त्र दान दे। सर्व पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इस दान को सबसे उत्तम मन गया है ।