भगवान शिव को  जो लोग आकृतिमे देखते है ,वे शिव की अनंत कृपासे वंचित रह जाते है L भगवान शिव जैसा समतासे परिपूर्ण दूसरा कोई नहीं है L भगवान शिवजी का परिवार देखो , कितनी  अदभूत समता है , उनके परिवारमें L माँ पार्वती जी का वाहन शेर है ,शिवजी का वाहन वृषभ है , कार्तिके का वाहन मोर है  और गणेशजी का वाहन चूहा है L सब एक दूसरेसे  विपरित है , लेकिन समताका अजोड मिसाल है L समाज में फैली विषमता को दूर करना हो तो भगवान शिव जी के परिवार को देखना चाहिये L भगवान शिव जी का बाहरी स्वरुप विचित्रसा लगता है , लेकिन वे विरक्त और त्याग की मूर्ति है L श्मशान उनका निवास स्थान है , भस्म उनका अङ्गराग है ,  पिशाच उनके सहचर है , वे  मुण्डमालाको  धारण करनेवाले है L भगवान शिव जी का  यह उपरी स्वरुप विषयभोग त्याग की शिक्षा देनेवाला है L इतनाही नहीं वैराग्य क्या होता है इसके यह लक्षण है L ऐसे त्यागमूर्ति भगवान की उपासना वैराग्यवान ही कर सकता है L भगवान शिव जी का उपरी रंगरूप देखकर जो शिव जी को तमोगुणी कहते है उन्हें सच्चे शिव का पता ही नहीं है L 

        भगवान शिव जी के बारेमे कहा जाता है कि -
 शिव जी के त्रिनेत्र - त्रिकाल माने , भूत  ,भविष्य , वर्तमान के ज्ञान अर्थात              सर्वज्ञताके  प्रतिपादक है l
 शिव जी का त्रिशूल - आधिदैविक , आधिभौतिक , आध्यात्मिक तिन प्रकारके शूलोंसे बचानेवाला है l 
शिव जी का मुण्डमालाका धारण करना - मृत्यु को स्मरण करनेवाला है , जिससे संसारमे आसक्ति नहीं रहती l 
शिव जी का विषपान - विषयभोग ही वास्तव में विष है l जिन लोगोंका लक्ष्य विषय भोग ही है ,ऐसे विषयभोगीयोंको  त्याग और वैराग्यकी शिक्षा  देकर उन्हें विषयभोग रूपी विषसे छुड़ानेवाले है l  
   भगवान शिव जी समताध्यक्ष है l उनके मस्तिष्क पर गंगाजी और चन्द्रमा है ,जो शितलताका प्रतिक है l जिसका मस्तिष्क शितल हो , ठंडा हो , जिसके मस्तिष्क में अद्भुत शांति हो , वह सारे संसारको शितलता और शांति प्रदान करनेवाला होता है l शिवजी ने अपने  गलेमे जो नागराज को धारण किया है ,वह अहंकाररुपी नाग को अपने काबू में रखनेकी सीख देता है l शिव जी का उपरी आचरण हमें बहुत कुछ सीखता है l 
   शिव एक परम तत्व है , यह तत्व सर्वव्यापी है l भगवान शिव अनंत है , शिव केवल किसी शिवालयमे या कैलास पर ही नहीं रहते है वे हर एक के हृदय में नित्य विराजमान है l प्राचिन कालसे शिवजी की आराधना , उपासना शिवलिंग के माध्यमसे कि जाती है l शिवलिंगपर दूध , बिल्बपत्र  आदि चढ़ाये जाते है, यह सब तो ठीक है , लेकिन असली शिव आराधना विधि यह है कि अपने आन्तरात्माको को ही शिवस्वरूप मानकर नित्य आत्मशिव की आराधना करनी चाहिये ,यही असली शिव आराधना है l यह आराधना तुरंत फल देनेवाली है l  शिव परम कल्याणकारी है l धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष प्रदान करनेवाले है l 

     भगवान शिव  सच्छिदानन्दघन स्वरुप है l भगवान शिव किसी धर्म , सम्प्रदाय या जातिसे  बंधे हुए नहीं l  जो अज्ञानी मूढ़मतिके है ,वे ही लोग शिव जी को जन्म - मृत्यु को प्राप्त होनेवाले है ,  किसी धर्म विशेष  मानते है l भगवान शिव का किसी धर्म , सम्प्रदाय , जाती  से कोई लेना देना नहीं है, शिव  तत्व का जिन्हें अभ्यास नहीं है उन अज्ञानी को भगवान शिव  एक ही धर्म के लगते है  l शिव ही ब्रह्मा ,विष्णु है l  शिव इस सृष्टि के कणकण में व्याप्त है l शिव अनंत है , शिव कृपा अनंत है l उन्हें अपना परम इष्ट , परमगुरु के रूप में अराध्य l भगवान शिव तत्काल प्रसन्न होनेवाले है l भगवान शिव जी को सर्वशक्तिमान , सर्वसमर्थ , सर्वज्ञ , सर्वान्तरात्मा , सबके रक्षक-पोषक ,परम हितैषी , परम दयालु , परम कृपालु ,  परम  सुहृद जानकर उनकी आत्मभावसे आराधना करनेवालोंपर  वे शीघ्र कृपा करते है l आखिर भाव ही देव है l जिस भाव से उस परमपिता को हम ध्यायेंगे वैसी ही हमपर कृपा  करेंगे l  भगवान शिव  को जो श्रेष्ठ भावसे ध्याते है , शिव जी  श्रेष्ठ ही प्रदान करते है  l सदगुण ,सदाचार ,सत्कर्म ,सद्भावना , सबके लिये मंगल कामना इस पंचामृतसे  आत्मशिवका नित्य अभिषेक करना चाहिये और विश्व को शिव रूप में देखना ही असली बिल्बपत्र अर्पण करना है l   आओ महाशिवरात्रि के पावन पर्वपर आत्मशिव को प्रसन्न करनेका शिवसंकल्प करे l और अपना जीवन धन्य करे l 

                                ll   ॐ नम: शिवाय ll 

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