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'ऊँ - सर्वेश्वर परमात्मा है।
'भू:'- प्राण तत्व है, जो समस्त प्रणियों में ईश्वर का अंश है।
'भुव:' - समस्त दुखों का नाश ही
कहलाता है।
'स्व:' - मन की स्थिरता का बोध
होता है।
'तत्' - जीवन-मरण के रहस्य को
जाना जाता है।
'सवितु' - सूर्य के समान बलवान
बनाता है।
'वरेण्यं' - श्रेष्ठता की ओर ले
जाता है।
'भर्गो' - निष्पाप करता है।
'देवस्य' - मरणधर्मा मनुष्य भी
देवत्व प्राप्त करके अमर हो सकता है।
'धीमिहि' - पवित्र शक्तियों को
धारण करना सिखाता है।
धियो' - शुद्ध बुद्धि से ही
सत्य को जाना जा सकता है।
'योन:' - शक्तियों का प्रयोग
करने की प्रेरणा देता है और शेष को छोडऩे की शक्ति देता है।
'प्रचोदयात्' - सत्य के मार्ग पर चलने
की प्रेरणा देता है।