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इस
बार 28 अगस्त को श्रीकृष्ण
जन्माष्टमी मनाया जाएगा। इसी दिन वैष्णव संप्रदाय भी जन्माष्टमी मनाएगा। पंडितों
के अनुसार ऐसा अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के एक साथ होने के कारण हो रहा है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व बुधवार को ही मनाया जाएगा। बुधवार को दोपहर तीन बजे तक
कृतिका नक्षत्र है। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। अष्टमी तिथि एक दिन
पहले मंगलवार रात से प्रारंभ होकर बुधवार देर रात तक रहेगी। इस दिन वृषभ लग्न
रहेगी।
27 को चन्द्रमा वृषभ राशि से रोहिणी नक्षत्र में जाएगा, इसलिए मुहूर्त तभी से आरंभ माना जाएगा। स्मार्त: मत को मानने वाले 27 को व्रत रखेंगे। 27 को रात्रि 1.53 मिनट के बाद व्रत खोल सकते हैं। दिनमान में अष्टमी तिथि होने की वजह से
संभावना यह है कि अधिकांश लोग 28 को ही जन्माष्टमी
मनाएंगे। 28 अगस्त को रात्रि 3.10 मिनट तक अष्टमी का सद्भाव रहेगा। श्रीमद्भागवत् में स्पष्ट निर्देश है कि
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र और बुधवार मिल जाए तो यह
विलक्षण योग है। इसमें श्री कृष्ण का पूजन, अर्चन, व्रत और दोला रोहण किया जाए तो शुभदाई है।
उनके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने 125 वर्षों तक लीला की। जब वे गो लोक गए तब से कलियुग का आरंभ हुआ। भारतीय काल
गणना के अनुसार कलियुग के अब तक 5114 वर्ष बीत
चुके हैं। इसलिए इस बार श्रीकृष्ण की 5239 वीं
जयंती मनाई जाएगी। मथुरा के बांके बिहारी मंदिर ने भी अभी तक यह घोषित नहीं किया
है कि जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी।
पंडितों
के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कुछ पंचांगों में 29 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र
दर्शाया गया है। इससे लोगों में इस नक्षत्र को लेकर भ्रम की स्थिति है, लेकिन ऐसा नहीं है।
28 अगस्त को दोपहर बाद
रोहिणी नक्षत्र लग रहा है और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हमेशा रोहिणी नक्षत्र में ही
मनाया जाता है। इसलिए इस बार 28 अगस्त बुधवार को
जन्माष्टमी मनाया जाएगा। वैष्णव को छोड़ स्मार्त संप्रदाय के लोग अष्टमी तिथि को
ही जन्माष्टमी मनाते है, लेकिन इस बार एक ही दिन
रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि होने के कारण दोनों संप्रदाय के लोग इसी दिन पर्व
मनाएंगे।
ब्रज
में जन्माष्टमीं को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। लोगों में जन्माष्टमीं
को लेकर जबरदस्त उत्साह है। यह अगस्त महीने की 28 तारीख को पड़ेगी।
श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव समिति के अनुसार श्रीकृष्ण मंदिर प्रांगण में 25 अगस्त से ही कार्यक्रम
प्रारंभ हो जाएंगे जो जन्माष्टमी तक चलेंगे।
जन्माष्टमी के दिन सुबह
पुष्पांजलि कार्यक्रम श्रीराम मंदिर अयोध्या के महंत नृत्यगोपाल दास करेंगे। इसी
प्रकार वृंदावन के सप्त देवालयों में भद्रमास की प्रतिपदा को ठाकुर जी के विभिन्न
रूप दिखाई देगे। वृंदावन स्थित गोपीनाथ, गोविंद देव, गोकुलानंद, मदन मोहन, राधादामोदर, राधारमण, राधाश्यामसुंदर मंदिर
सप्त देवालय माने जाते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व बुधवार को ही मनाया जाएगा। बुधवार को दोपहर तीन बजे तक
कृतिका नक्षत्र है। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। अष्टमी तिथि एक दिन
पहले मंगलवार रात से प्रारंभ होकर बुधवार देर रात तक रहेगी। इस दिन वृषभ लग्न
रहेगी।
27 को चन्द्रमा वृषभ राशि से रोहिणी नक्षत्र में जाएगा, इसलिए मुहूर्त तभी से आरंभ माना जाएगा। स्मार्त: मत को मानने वाले 27 को व्रत रखेंगे। 27 को रात्रि 1.53 मिनट के बाद व्रत खोल सकते हैं। दिनमान में अष्टमी तिथि होने की वजह से
संभावना यह है कि अधिकांश लोग 28 को ही जन्माष्टमी
मनाएंगे। 28 अगस्त को रात्रि 3.10 मिनट तक अष्टमी का सद्भाव रहेगा। श्रीमद्भागवत् में स्पष्ट निर्देश है कि
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र और बुधवार मिल जाए तो यह
विलक्षण योग है। इसमें श्री कृष्ण का पूजन, अर्चन, व्रत और दोला रोहण किया जाए तो शुभदाई है।
उनके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने 125 वर्षों तक लीला की। जब वे गो लोक गए तब से कलियुग का आरंभ हुआ। भारतीय काल
गणना के अनुसार कलियुग के अब तक 5114 वर्ष बीत
चुके हैं। इसलिए इस बार श्रीकृष्ण की 5239 वीं
जयंती मनाई जाएगी। मथुरा के बांके बिहारी मंदिर ने भी अभी तक यह घोषित नहीं किया
है कि जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी।
पंडितों
के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कुछ पंचांगों में 29 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र
दर्शाया गया है। इससे लोगों में इस नक्षत्र को लेकर भ्रम की स्थिति है, लेकिन ऐसा नहीं है।
28 अगस्त को दोपहर बाद
रोहिणी नक्षत्र लग रहा है और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हमेशा रोहिणी नक्षत्र में ही
मनाया जाता है। इसलिए इस बार 28 अगस्त बुधवार को
जन्माष्टमी मनाया जाएगा। वैष्णव को छोड़ स्मार्त संप्रदाय के लोग अष्टमी तिथि को
ही जन्माष्टमी मनाते है, लेकिन इस बार एक ही दिन
रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि होने के कारण दोनों संप्रदाय के लोग इसी दिन पर्व
मनाएंगे।
ब्रज
में जन्माष्टमीं को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। लोगों में जन्माष्टमीं
को लेकर जबरदस्त उत्साह है। यह अगस्त महीने की 28 तारीख को पड़ेगी।
श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव समिति के अनुसार श्रीकृष्ण मंदिर प्रांगण में 25 अगस्त से ही कार्यक्रम
प्रारंभ हो जाएंगे जो जन्माष्टमी तक चलेंगे।
जन्माष्टमी के दिन सुबह
पुष्पांजलि कार्यक्रम श्रीराम मंदिर अयोध्या के महंत नृत्यगोपाल दास करेंगे। इसी
प्रकार वृंदावन के सप्त देवालयों में भद्रमास की प्रतिपदा को ठाकुर जी के विभिन्न
रूप दिखाई देगे। वृंदावन स्थित गोपीनाथ, गोविंद देव, गोकुलानंद, मदन मोहन, राधादामोदर, राधारमण, राधाश्यामसुंदर मंदिर
सप्त देवालय माने जाते हैं।