शास्त्रों के मुताबिक देव-दानव द्वारा किए समुद्र मंथन में घातक जहर
से लेकर अनमोल और चमत्कारी निधियां बाहर निकली। इससे निकले हलाहल यानी विष
को महादेव ने पीकर हाहाकार कर रहे जगत की रक्षा की और नीलकंठ के रूप में
पूजनीय बने। वहीं इसी समुद्र मंथन से सुख और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी प्रकट
हुई और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना स्वामी चुना।
धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले इस हलाहल को शिव ने
श्रावण माह में ही पिया था। इसी तरह शास्त्रों में अमावस्या देवी
उपासना का विशेष दिन है। खासतौर पर जगतजननी के तीन रूपों में एक माता
महालक्ष्मी की पूजा वैभव व समृद्धि देने वाली मानी गई है।
यही कारण है कि आज श्रावणी अमावस्या को आर्थिक तंगी या धन अभाव दूर
करने, नौकरी या कारोबार में भरपूर कमाई की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान
शिव व माता लक्ष्मी की पूजा का शास्त्रों में यहां बताए जा रहे 2 छोटे से
मंत्र उपाय बहुत असरदार माने गए हैं। यह घर-परिवार को रोग और दरिद्रता से
मुक्त करने के साथ धन लाभ देते हैं।
यह उपाय है - अमावस्या
की शाम शिव व महालक्ष्मी के सामने विशेष मंत्र से घी का दीप लगाना।
महालक्ष्मी पूजा में दीप दु:ख व दरिद्रता नाश का उपाय माना जाता है। जानिए
यह मंत्र और आसान पूजा उपाय कैसे करें -
- शाम को महालक्ष्मी की तस्वीर को लाल वस्त्र पर अक्षत यानी चावल की
आठ पंखुडिय़ों वाला फूल बनाकर स्थापित करें। इसी तरह चांदी के छोटे शिवलिंग
भी विराजित करें।
- माता लक्ष्मी व शिव की पंचोपचार पूजा करें। लक्ष्मी पूजा में लाल
पूजा सामग्री जैसे लाल चंदन, लाल गंध, फूल व शिव पूजा में सफेद पूजा
सामग्री यानी सफेद चंदन, सफेद फूल, बिल्वपत्र अर्पित कर अगली स्लाइड में
बताए मंत्रों के साथ घी का दीप जलाएं व लक्ष्मी-शिव का ध्यान करें-
दीप मंत्र -
कार्पासवर्तिसंयुक्तं घृतयुक्तं मनोहरम्।
तमोनाशकरं दीपं गृहाण परमेश्वरि।।
लक्ष्मी मंत्र -
ऊँ आप: सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीतवस मे गृहे।
निचदेवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले।।
शिव मंत्र -
ऊँ भगवते साम्बसदाशिवाय नम:।।
- बाद नैवेद्य अर्पित कर व आरती करें