भारतीय
संस्कृति में माता पिता को देवता तुल्य माना जाता है। इसलिए शास्त्र वचन
है कि पितरो के प्रसन्न होने पर सारे देव प्रसन्न हो जाते है। ब्रह्मपूराण
के अनुसार श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाला मनुष्य अपने पितरो के अलावा
ब्रह्म, इन्द्र, रूद्र, अश्विनी कुमार, सुर्य, अग्नि, वायु, विश्वेदेव, एवं
मनुष्यगण को भी प्रसन्न कर देता है। मृत्यु के पश्चात हमारा स्थूल शरीर
तो यही रह जाता है। परंतु सूक्ष्म शरीर यानि आत्मा मनुष्य के शुभाशुभ
कर्माे के अनुसार किसी लोक विशेष को जाती है। शुभकर्माे से युक्त आत्मा
अपने प्रकाश के कारण ब्रह्मलोक, विष्णुलोक एवं स्वर्गलोक को जाती है। परंतु
पापकर्म युक्त आत्मा पितृलोक की ओर जाती है। इस यात्रा में उन्हे भी शक्ति
की आवश्यकता होती है जिनकी पूर्ति हम पिंड दान द्वारा करते है। - See
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