देवी मंत्र से नवग्रहों की शांति

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आदिशक्ति दुर्गा जगतजननी हैं। यह मातृशक्ति ही चर-अचर जगत की रचनापालन और नियंत्रण करने वाली है। इसी कड़ी में देवी दुर्गा को ही ग्रह-नक्षत्रों की गति और प्रभाव को नियत करने वाला माना गया है। इसलिए देवी उपासना से ग्रह दोष शांति के उपाय बताए गए हैं। 

सुख-शांति पाने के लिए गुप्त नवरात्रि भी अचूक घड़ी मानी गई है। देवी उपासना के विशेष मंत्रों का जप ग्रह दोष को दूर कर देता है। एक ऐसा ही शक्तिशाली देवी मंत्र, जिसके स्मरण या जप से सारे ग्रह दोष बेअसर हो जाते हैं।

यह मंत्र नौ अक्षरी या नर्वाण देवी बीज मंत्र है। मंत्र के नौ अक्षर नवदुर्गा की नौ शक्तियां मानी गई हैं। नौ शक्तियां ही नवग्रहों में से एक-एक ग्रह की नियंत्रक मानी गई है।
ग्रह हैं - सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु।
इसके पहले तीन बीज अक्षर महाकाली, महासरस्वती व महालक्ष्मी स्वरूप अक्षर ब्रह्म भी माने गए हैं। मंत्र के जप का नवग्रह दोष शांति के साथ समृद्धि पाने में भी विशेष महत्व है।
मंत्र -  ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।  
नवरात्रि में इस मंत्र का 9 दिनों तक यथाशकित जप करें। यह मंत्र दोष शांति कर सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के साथ ही दु:ख, संकट व संताप से रक्षा करता है।