पित्र दोष निवारण / पूजा
कुंडली
में उपस्थित भिन्न प्रकार के दोषों के निवारण के लिए की जाने वाली पूजाओं को लेकर
बहुत सी भ्रांतियां तथा अनिश्चितताएं बनीं हुईं हैं तथा एक आम जातक के लिए यह
निर्णय लेना बहुत कठिन हो जाता है कि किसी दोष विशेष के लिए की जाने वाली पूजा की
विधि क्या होनी चाहिए।
पित्र
दोष के निवारण के लिए की जाने वाली पूजा को लेकर बहुत अनिश्चितता की स्थिति बनी
हुई है जिसके कारण जातक को दुविधा का सामना करना पड़ता है। पित्र दोष के निवारण के
लिए धार्मिक स्थानों पर की जाने वाली पूजा के महत्व के बारे में पितृ दोष के
निवारण के लिए की जाने वाली पूजा है क्या।
पित्र
दोष का कारण है:- जातक ने अपने पूर्वजों के
मृत्योपरांत किये जाने वाले संस्कार तथा श्राद्ध आदि उचित प्रकार से नहीं किये
होते जिसके चलते जातक के पूर्वज उसे शाप देते हैं जो पित्र दोष बनकर जातक की
कुंडली में उपस्थित हो जाता है, उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों
में समस्याएं उत्पन्न करता है। ऐसे पित्र दोष के निवारण के लिए पित्रों के श्राद्ध
कर्म आदि करने, पिंड
दान करने तथा नारायण पूजा आदि का सुझाव देते हैं इन उपायों को करने वाले जातकों को
पित्र दोष से कोई विशेष राहत नहीं मिलती क्योंकि पित्र दोष वास्तविकता में पित्रों
के शाप से नहीं बनता अपितु पित्रों के द्वारा किये गए बुरे कर्मों के परिणामस्वरूप
बनता है जिसका फल जातक को भुगतना पड़ता है, निवारण के लिए जातक को नवग्रहों
में से किसी ग्रह विशेष के कार्य क्षेत्र में आने वाले शुभ कर्मों को करना पड़ता
है जिनमें से उस ग्रह के वेद मंत्र के साथ की जाने वाली पूजा भी एक उपाय है जिसे
पित्र दोष निवारण पूजा भी कहा जाता है।
दोष के निवारण के लिए की जाने
वाली पूजा को विधिवत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है दोष के निवारण के लिए निश्चित
किये गए मंत्र होती है। पूजा के आरंभ वाले दिन पांच या सात पंडित पूजा करवाने वाले
यजमान अर्थात जातक के साथ भगवान शिव के शिवलिंग के समक्ष बैठते हैं तथा शिव परिवार
की विधिवत पूजा करने के पश्चात मुख्य पंडित यह संकल्प लेता है कि वह और उसके सहायक
पंडित उपस्थित यजमान के लिए पित्र दोष के निवारण मंत्र जाप एक निश्चित अवधि में
करेंगे तथा इस जाप के पूरा हो जाने पर पूजन, हवन तथा कुछ विशेष प्रकार के दान
आदि करेंगे।
संकल्प के समय मंत्र का जाप करने वाली सभी पंडितों का नाम तथा उनका गोत्र
बोला जाता है तथा इसी के साथ पूजा करवाने वाले यजमान का नाम, उसके पिता का नाम तथा उसका गोत्र
भी बोला जाता है पितृ दोष के निवारण मंत्र के इस जाप से पित्र दोष का निवारण होता
है।
भगवान
शिव, मां
पार्वती, भगवान
गणेश तथा शिव परिवार के अन्य सदस्यों की पूजा फल, फूल, दूध, दहीं, घी, शहद, शक्कर, धूप, दीप, मिठाई, हलवे के प्रसाद तथा अन्य कई
वस्तुओं के साथ की जाती है तथा इसके पश्चात मुख्य पंडित के द्वारा पितृ दोष के
निवारण मंत्र का जाप पूरा हो जाने का संकल्प किया जाता है जिसमे यह कहा जाता है कि
मुख्य पंडित ने अपने सहायक अमुक अमुक पंडितों की सहायता से इस मंत्र का जाप
निर्धारित विधि में सभी नियमों का पालन करते हुए किया है जिसने जाप के शुरू होने
से लेकर अब तक पूर्ण निष्ठा से पूजा के प्रत्येक नियम की पालना की है तथा इसलिए अब
इस पूजा से विधिवत प्राप्त होने वाला सारा शुभ फल उनके यजमान को प्राप्त होना
चाहिए।
समापन पूजा के चलते नवग्रहों से कुछ
विशेष ग्रहों से संबंधित विशेष वस्तुओं का दान किया जाता है जो जातकों के लिए
भिन्न हो सकता है तथा इन वस्तुओं में चावल, गुड़, चीनी, नमक, गेहूं, दाल, तेल, सफेद तिल, काले तिल, जौं तथा कंबल का दान किया जाता
है। हवन की प्रक्रिया शुरू की जाती है जो जातक तथा पूजा का फल प्रदान करने वाले
देवी देवताओं अथवा ग्रहों के मध्य एक सीधा तथा शक्तिशाली संबंध स्थापित करती है। विधियों
के साथ हवन अग्नि प्रज्जवल्लित करने के पश्चात तथा हवन शुरू करने के पश्चात पित्र
दोष के निवारण मंत्र का जाप पुन: प्रारंभ किया जाता है, इस
मंत्र का जाप पूरा होने पर स्वाहा: का स्वर उच्चारण किया जाता है जिसके साथ ही हवन
कुंड की अग्नि में एक विशेष विधि से हवन सामग्री डाली जाती है।
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पितृदोष निवारण
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अंत में सूखे नारियल को उपर से
काटकर उसके अंदर कुछ विशेष सामग्री भरी जाती है तथा नारियल को विशेष मंत्रों के
उच्चारण के साथ हवन कुंड की अग्नि में पूर्ण आहुति के रूप में अर्पित किया जाता है
तथा इसके साथ ही इस पूजा के इच्छित फल एक बार फिर मांगे जाते हैं।
पूजा की शांति पितृ
दोष निवारण पूजा में भी उपरोक्त विधियां पूरी की जातीं हैं इन्हें ठीक प्रकार से न
करने पर जातक को इस पूजा से प्राप्त होने वाले फल में कमी आ सकती है तथा जितनी कम
विधियों का पूर्णतया पालन किया गया होगा, उतना ही इस पूजा का फल कम होता
जाएगा।
इसलिए धार्मिक स्थानों पर किसी
भी प्रकार की पूजा का आयोजन करवाते रहने की आवश्यकता है जिससे आपके दवारा करवाई
जाने वाली पूजा का शुभ फल आपको पूर्णरूप से प्राप्त हो सके।