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-उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन
करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
-उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि
नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएँ।
-पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और
ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।
-इसके बाद जल, फल, कुश और
गंध लेकर संकल्प करें-
-अब मध्याह्न के समय काले तिलों के
जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें।
-तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति
या चित्र स्थापित करें।
-मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान
कराती हुई देवकी हों।
-लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों
अथवा ऐसे भाव हो।
-विधि-विधान से पूजन करें।
-पूजन में
देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और
लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए।
-अंत में प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन
करें।