धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है। दिवाली से पहले मनाये जाने वाले पर्व धनतेरस के दिन वैद्य धनवंतरी के पूजन का विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन धनवंतरी वैद्य समुद्र से अमृत लेकर आए थे। इसलिए धनतेरस को धनवंतरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस का दिन खरिदारी के लिए तो विशेष है कि साथ ही यह चिकित्सकों के लिए भी विशेष महत्व रखता है, क्यों कि धनवंतरी को चिकित्सकों का देवता कहा जाता है।
धनतेरस के दिन बर्तन और चांदी खरीदने का विशेष महत्व है। इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है। यम के लिए महिलाएं दीपक जलाती है। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के लिए एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने और उसका पूजन करके प्रज्जवलित करने से आकस्मिक मृत्यु से बचा जा सकता है। इसके साथ ही दीर्घ जीवन और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
धनतेरस के दिन बर्तन और चांदी खरीदने का विशेष महत्व है। इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है। यम के लिए महिलाएं दीपक जलाती है। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के लिए एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने और उसका पूजन करके प्रज्जवलित करने से आकस्मिक मृत्यु से बचा जा सकता है। इसके साथ ही दीर्घ जीवन और आरोग्य की प्राप्ति होती है।