यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है। बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली
हुई है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं।
आइंसटाइन से पूर्व भगवान महावीर ने कहा था। महावीर से पूर्व वेदों में
इसका उल्लेख मिलता है। उन्होंने तो ध्यान की अतल गहराइयों में उतर कर देखा तब कहा।
ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त 'ओ' पर ज्यादा जोर होता है।
इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। किसी भी प्रकार की
टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते
हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है।
तपस्वी ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की एक ऐसी ध्वनि है जो
सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे
सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया
ओम।
साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, जो भी ओम का उच्चारण करता
रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। ध्वनि को सुनने के लिए
तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा
से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ॐ का उच्चारण करते
रहना।
त्रिदेव और तीन लोक का प्रतीक : ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का
अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग
का प्रतीक है।
बीमारी दूर भगाएँ : तंत्र योग में
एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में
अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी
मंत्रों में गिने जाते हैं।
सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है।
इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों
से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया
जा सकता है।
उच्चारण विधि : प्रातः उठकर पवित्र
होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, सुखासन में बैठकर कर सकते
हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10 बार अपने समयानुसार कर
सकते हैं। ॐ जोर से, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।