वैसे तो सिंदूर सुहाग का प्रतीक है और इसे सभी सुहागन स्त्रियों द्वारा मांग में लगाने की परंपरा है। सिंदूर का पूजन-पाठ में भी गहरा महत्व है। बहुत से देवी-देवताओं को सिंदूर अर्पित किया जाता है। श्री गणेश, माताजी, भैरव महाराज के अतिरिक्त मुख्य रूप से हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाया जाता है।
हनुमानजी का पूरा श्रंगार ही सिंदूर से किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार हर युग में बजरंग बली की आराधना सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। हनुमानजी श्रीराम के अनन्य भक्त हैं और जो भी इन पर आस्था रखता है उनके सभी कष्टों को ये दूर करते हैं। हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाया जाता है? इस संबंध में शास्त्रों में एक प्रसंग बताया गया है।
रामचरित मानस के अनुसार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा। तब उनके मन में जिज्ञासा जागी कि माता मांग में सिंदूर क्यों लगाती है? यह प्रश्न उन्होंने माता सीता से पूछा। इसके जवाब में सीता ने कहा कि वे अपने स्वामी, पति श्रीराम की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं। शास्त्रों के अनुसार सुहागन स्त्री मांग में सिंदूर लगाती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है और वह हमेशा स्वस्थ रहते हैं।
माता सीता का उत्तर सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि जब थोड़े सा सिंदूर लगाने का इतना लाभ है तो वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाएंगे तो उनके स्वामी श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे। यही सोचकर उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना प्रारंभ कर दिया। तभी से बजरंग बली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
वैसे तो सभी के जीवन में समस्याएं सदैव बनी रहती हैं लेकिन यदि किसी व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक परेशानियां उत्पन्न हो गई है और उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा हो तब हनुमानजी की सच्ची भक्ति से उसके सारे बिगड़े कार्य बन जाएंगे। दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाएगा। प्रतिदिन हनुमान के चरणों का सिंदूर अपने सिर या मस्तक पर लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और विचार सकारात्मक बनते हैं। जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं।