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एक तिथि
वह समय होता है, जिसमें
सूर्य और चंद्र के बीच का देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तिथियाँ दिन में
किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घंटे तक हो सकती है।
पंद्रह तिथियों का एक पक्ष या पखवाड़ा माना गया
है। शुक्ल और कृष्ण पक्ष मिलाकर दो पक्ष का एक मास। फिर दो मास की एक ऋतु और इस
तरह तीन ऋतुएँ मिलकर एक अयन बनता है और दो अयन यानी उत्तरायन और दक्षिणायन। इस तरह
दो अयनों का एक वर्ष पूरा होता है।
15 मानव दिवस एक पितृ दिवस कहलाता है यही एक पक्ष है।
30 पितृ दिवस का एक पितृ मास कहलाता
है। 12 पितृ मास का एक पितृ वर्ष। यानी पितरों का जीवनकाल 100
का माना गया है तो इस मान से 1500 मानव वर्ष
हुए।
और इसी तरह पितरों के एक मास से कुछ दिन कम यानी
मानव के एक वर्ष का देवताओं का एक दिव्य दिवस होता है, जिसमें दो अयन होते हैं पहला
उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। तीस दिव्य दिवसों का एक दिव्य मास। बारह दिव्य मासों
का एक दिव्य वर्ष कहलाता है।
(1) 4,800 दिव्य वर्ष अर्थात एक कृत युग (सतयुग)।
मानव वर्ष के मान से 1728000 वर्ष।
(2) 3,600 दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग।
मानव वर्ष के मान से 1296000 वर्ष।
3) 2,400 दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग।
मानव वर्ष के मान से 864000 वर्ष।
4) 1,200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलि युग।
मानव वर्ष के मान से 432000 वर्ष।
12000 दिव्य
वर्ष अर्थात 4 युग अर्थात
एक महायुग
जिसे दिव्य युग भी कहते हैं।
जिसे दिव्य युग भी कहते हैं।
सत्य युग : वर्तमान वराह कल्प में हुए कृत या सत्य को 4800 दिव्य वर्ष का माना गया है।
ब्रह्मा का एक दिवस 10000 भागों में बँटा होता है, जिसे चरण कहते हैं।
त्रेतायुग : त्रेतायुग को 3600 दिव्य वर्ष का माना गया है। त्रेता युग मानवकाल के द्वितीय युग को कहते
हैं। यह काल राम के देहान्त से समाप्त होता है।
द्वापर : द्वापर मानवकाल के तृतीय युग को कहते हैं। यह काल कृष्ण के देहान्त
से समाप्त होता है।
कलियुग : 1200 दिव्य
वर्ष का एक कलियुग माना गया है। कलियुग चौथा युग है। आर्यभट्ट के अनुसार
महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ था। कृष्ण का इस युद्ध के 35
वर्ष पश्चात देहान्त हुआ, तभी से कलियुग का
आरम्भ माना जाता है।
वर्तमान में जो युग चल रहें है ऐसे चार युग पहले
भी बहुत से हो चुके हैं। अनुमानत: चार युगों का यह 22वाँ या 23वाँ चक्र चल रहा है।
उपरोक्त आँकड़ों में दोष हो सकता हैं, क्योंकि पुराणों में
युगों की काल अवधि को लेकर अलग-अलग धारणा मिलती है।
साभार - वेबदुनिया डेस्क