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शिव का अवतार हैं हनुमान
शास्त्रों में रामभक्त हनुमान के
जन्म की दो तिथि का उल्लेख मिलता है। जिसमें पहला तो उन्हें भगवान शिव का अवतार माना
गया है, क्योंकि रामभक्त हनुमान की माता
अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त करने
का वर मांगा था।
तब भगवान शिव ने पवन देव के रूप में
अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया था और वही शक्ति अंजनी के गर्भ
में प्रविष्ट हुई थी। फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान का जन्म हुआ था।
पंडितों के अनुसार हनुमान जयंती का
विशेष महत्व है। मंगल ग्रह से विशेष रूप से प्रभावित जातकों को भगवान हनुमान की
उपासना करना चाहिए।
जिनकी जन्मपत्रिका में मंगल ग्रह
निर्बल हैं, उन जातकों के लिए मंगल ग्रह से
संबंधित दान-पुण्य व मंत्र जाप करना हितकारी रहेगा।
हनुमान भक्तों को इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ, मंगल ग्रह के मंत्र का जाप और गरीबों को गुड़, चना और लड्डू दान करना चाहिए।
हनुमान का
जन्मोत्सव
पवनपुत्र हनुमान का जन्मोत्सव हस्त
नक्षत्र होने से यह योग निर्मित हो रहा है। मारुतिनंदन को चोला चढ़ाने से जहां
सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वहीं बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है। हनुमानजी को भक्ति
और शक्ति का बेजोड़ संगम बताया गया है। चैत्र माह की पूर्णिमा पर भगवान राम
की सेवा के उद्देश्य से भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र ने अंजना के घर हनुमान के
रूप में जन्म लिया था।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए शनि को शांत करना चाहिए। जब हनुमानजी ने शनिदेव
का घमंड तोड़ा था तब सूर्यपुत्र शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया है कि उनकी भक्ति
करने वालों की राशि पर आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं देंगे।
ऐसे में अमृतयोग में उनकी जयंती पर
पूजन करना ज्यादा फलदायक होगा। बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं
होता। हनुमानजी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए इसी काल में उनकी पूजा-अर्चना
और आरती का विधान है।
दास हनुमान राम के आगे हाथ जोड़कर
खड़े रहते हैं और उनकी पूंछ जमीन पर रहती है जबकि वीर हनुमान योद्धा मुद्रा में
होते हैं और उनकी पूंछ उठी रहती है। दाहिना हाथ सिर की ओर मुड़ा हुआ रहता है।
कहीं-कहीं उनके पैरों तले राक्षस की मूर्ति भी होती है
शरीर को लाभ : हनुमानजी की उपासना व
चोला चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। जिन लोगों को शनिदेव की पीड़ा हो उन्हें
बजरंग बली को तेल-सिंदूर का चोला अवश्य चढ़ाना चाहिए।
हनुमानजी अपने भक्तों की सच्चे मन
से की गई हर तरह की मनोकामना पूरी करते हैं और अनिष्ट करने वाली शक्तियों को परे
रखते हैं।
प्रायः शनिवार व मंगलवार हनुमानजी
के दिन माने जाते हैं। आध्यात्मिक उन्नति के लिए वाममुखी अर्थात जिसका मुख बाईं
तरफ ओर हो हनुमान या दास हनुमान की मूर्ति को पूजा में रखने का रिवाज है। दास
हनुमान और वीर हनुमान बजरंग बली के दो रूप बताए गए हैं।