आत्मविशवास

नवयुवक खुद को पहचाने मे असमर्थ 


आज की संघर्ष भरी जिन्दगी में हर किसी के मन में यही होता है की वह अपनी एक अलग पहचान बना सके |. बचपन से ही अपने माँ बाप की सुनाता है की तुमने बड़े होकर एक कामयाब इन्सान बनाना है | जिसके लिए वह कई बार मेहनत तो पूरी करता है पर कामयाब नही होता | कई बार हालत साथ नही देते उसकी मजबुरिया सामने आ जाती है तो कई बार लोगो की खिली के डर से पीछे हट जाता है | तो कई बार कामयाब होने से पहले ही अपने आप को बहुत बड़ा समझ कर लोगो के सामने बड़ी - बड़ी डींगे मारना शुरू कर देता है | और कुछ बनने से पहले ही अत्याधिक आतम विशवास की वजह से ही अपना काम खराब कर लेता है . और जिन्दगी में नाकामयाब साबित होता है यही है जिन्दगी की सचाई जो कोई नही समझ पाया | मै तो बड़ा होकर सचिन तेंदुलकर बनूंगा , मै शाहरुख खान बनूँगा , मै माइकल जेक्सन की तरह डांस करूंगा | हर किसी के मन में आजकल यही होता है की मै किसी ना किसी सितारे की तरह बनने | पर वह अपने अंदर की प्रतिभा को भूल कर आसमान को छूने के लिए बनावटी रुख अपनाता है जिसमे वह लाख कोशिशो के बाद भी कामयाब नही हो पता और कई बार जिन्दगी की भीड़ में गुमनाम सा हो जाता है | यकीन नहीं तो आपने अपने आसपास ऐसे कई लोग देखेगे होंगे जिनके अंदर प्रतिभा काफी छुपी होती है पर उसे पहचान नही पाते और उसका कोई भाई बंदु किसी और लाइन में बढिया है तो खुद को भूल कर उसकी तरह बनने की सोचते है याद कीजिये अपने किसी नजदीकी इंसान को सोचिये...............कुछ याद आया ???? जी बिलकुल मै बात कर रहा हु रोहित की,सोरब की , रुपाली की या रेशमा की जी अब आपको याद तो आ गया हो गया की जिसको आप जानते है उसके अंदर एक्टिंग की ,स्पोर्ट्स की या किसी और काम करने का हुनर होता है जब भी वह काम करता है तो मन लगाकर एकदम बढिया करता है और बहुत जल्द सीख कर उसमे निपुण हो जाता है पर बहुत कम लोग अपने अंदर की इस निपुणता को जान पाते है एक शोध के अनुसार दस में से चार लोग ही इसे पहचान पाते है |