सात मंदिरों वाला तीर्थ स्थान


भारतीय संस्कृति के अनुसार हमारे समाज में अपने बड़े-बुजुर्गों,पूर्वजों, शहीदों और सतियों के जन्मदिन तथा यादगारें मनाने एवं पूजा आदि की प्रथा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है क्योंकि यह हकीकत है कि जो लोग अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं वे उन्नति की ओर नहीं, अवनति की ओर अग्रसर होते हैं।

इसी मान्यता के अंतर्गत कठुआ से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गांव चन्नग्रां में अखिल भारतीय महाजन मनाथ बिरादरी के कुलदेव स्थान माता सत्यावती मंदिर में हर वर्ष लगने वाला विशाल मेला इस वर्ष 28 नवम्बर को लग रहा है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से एक ही वंश के विभिन्न परिवारों के हजारों सदस्य यहां पहुंचते हैं। कुलदेव स्थान पर सिर निवाते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, सुख-शांति की कामना करते हैं तथा अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं।

कुल की बेटियों के लिए यहां माथा टेकना वॢजत है जबकि विवाहित बेटे जब तक इस कुलदेव मंदिर के गिर्द वधू के साथ 4 फेरे नहीं ले लेते तब तक उनकी शादी पक्की नहीं मानी जाती। कई लोग अपने कुल के रीति-रिवाज जैसे कि पहली बार बेटे के बाल यहीं कटवाते हैं। यहां कुलदेव स्थान पर एक प्राचीन मंदिर है जहां माता सत्यावती के मोहरे पड़े हुए हैं। अब इस मंदिर को आधुनिक रूप दे दिया गया है तथा उन मोहरों के साथ ही माता सत्यावती की संगमरमर की मूर्तियां भी स्थापित करवा दी गई हैं।

इस कुल देवी स्थान के मंदिर  की बिरादरी में बड़ी मान्यता है। यहां मंदिर परिसर में माता सत्यावती के चरणों में एक बावली स्थित है जिसका पानी इतना पवित्र माना जाता है कि बिरादरी के लोग इसे बोतलों और कैनियों में भर कर अपने-अपने घरों को ले जाते हैं और वर्ष भर उसे चरणामृत की तरह प्रयोग करते हैं। यहां लोग मेले से एक दिन पूर्व ही पहुंच जाते हैं जिनके रहने,सोने और खाने का प्रबन्ध बिरादरी की मंदिर कमेटी करती है। अगले दिन भंडारे का आयोजन होता है जिसका प्रसाद सभी लोग ग्रहण करते हैं।

कुछ लोग इस प्रसाद को अपने घरों में भी परिवार के उन सदस्यों के लिए ले जाते हैं जो किसी कारणवश यहां नहीं आ पाते। इस बिरादरी की कमेटी ने यहां एक नि:शुल्क स्कूल खोल रखा है जिसमें अभी तक विद्यार्थियों से न तो दाखिला फीस ली जाती है और न ही मासिक फीस। यहां तक कि स्कूल बैग, यूनिफार्म, कापियां-किताबें, रबड़-ब्लेड और पैंसिल तक बिरादरी की ओर से स्कूल प्रबंधक कमेटी नि:शुल्क ही उपलब्ध करवाती है। स्टाफ का वेतन भी कमेटी ही देती है। पत्रकार मंगत राम महाजन इस स्कूल के चैयरमैन हैं।

अब बिरादरी के कुछ लोगों द्वारा अपने-अपने खर्चे पर वहां अनेक मंदिर बनाए गए हैं जिनमें माता सत्यावती मंदिर के अतिरिक्त श्री गणेश, दुर्गा माता और धर्मराज, बजरंग बली, राम दरबार, लक्ष्मी नारायण, सूर्यदेव, शिव भगवान, नाग देवता की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इस तरह से अब इस  कुलदेव स्थान में सात मंदिर हो गए हैं जिससे यह स्थान अब स्वत: ही एक तीर्थस्थान बन गया है।