मंदिर में बैठे भगवान केवल एक पत्थर की मूर्ति नहीं

एक राजा था। उसने भगवान कृष्ण जी का एक मंदिर बनवाया और पूजा के लिए एक पुजारी जी को नियुक्त किया। पुजारी जी बड़े भाव से बिहारी जी की सेवा करने लगे, भगवान का श्रंगार करते, भोग लगाते, उन्हें सुलाते। ऐसा करते-करते पुजारी जी वृद्ध हो गए। राजा हर रोज एक फूलों की माला सेवक के हाथों मंदिर भेज देता। 

पुजारी जी वह माला बिहारी जी को पहना देते, जब राजा दर्शन करने जाते तो पुजारी जी वह माला बिहारी जी के गले से उतार कर राजा को पहना देते। ये प्रतिदिन का नियम था। एक दिन राजा किसी काम से मंदिर नहीं जा सके इसलिए उसने सेवक से कहा, "तुम ये माला लेकर मंदिर जाओ और पुजारी जी से कहना आज हमें कुछ काम है इसलिए हम नहीं आ सकते वो हमारा इंतजार न करें। "

सेवक ने जाकर माला पुजारी जी को दे दी और सारी बात बताकर वापस आ गया। पुजारी जी ने माला बिहारी जी को पहना दी फिर वे सोचने लगा की आज बिहारी जी की मुझ पर बड़ी कृपा है। राजा ने तो आज आना नहीं क्यों न ये माला मैं पहन लूं, इतना सोच कर पुजारी जी ने माला उतार कर स्वंय पहन ली। 

अभी पुजारी जी ने माला धारण की ही थी कि इतने में सेवक ने घोषणा की,"राजा जी पधार रहे हैं।"

पुजारे जी ने सोचा अगर राजा ने माला मेरे गले में देख ली,तो मुझ पर बहुत नाराज होगें हड़बडाहट में पुजारी जी ने अपने गले से माला उत्तार कर बिहारी जी को पहना दी, जैसे ही राजा आये तो माला उतार कर राजा को पहना दी। राजा ने देखा माला में एक सफेद बाल लगा है तो राजा समझ गए की पुजारी जी ने माला स्वंय पहन ली थी। राजा को बहुत गुस्सा आया। 

राजा ने पुजारी जी से पूछा,"पुजारी जी! ये सफ़ेद बाल किसका है?"

पुजारी जी को लगा अगर मैं सच बोलूंगा तो राजा सजा देगा इसलिये पुजारी जी ने कहा,"ये सफ़ेद बाल बिहारी जी का है।"

अब तो राजा को और भी गुस्सा आ गया कि ये पुजारी जी झूठ बोले जा रहा है। बिहारी जी के बाल भी कही सफ़ेद होते है। 

राजा ने कहा,"पुजारी जी अगर ये सफेद बाल बिहारी जी का है तो सुबह श्रंगार करते,समय में आँऊंगा और देखूँगा कि बिहारी जी के बाल सफ़ेद है या काले,अगर बिहारी जी के बाल काले निकले तो आपको फाँसी की सजा दी जाएगी।"

इतना कह कर राजा चला गया। अब पुजारी जी रोने लगे और बिहारी जी से कहने लगे,"हे प्रभु! अब आप ही बचाइए नहीं तो राजा मुझे सुबह होते ही फाँसी पर चढ़ा देगा।"

पुजारी जी की सारी रात रोने में निकल गयी कब सुबह हो गयी उन्हें पता ही नहीं चला। सुबह होते ही राजा आ गया और बोला, "पुजारी जी में स्वंय देखूगां।"

 इतना कह कर राजा ने जैसे ही मुकुट हटाया तो क्या देखता है बिहारी जी के सारे बाल सफ़ेद है। राजा को लगा, पुजारी जी ने ऐसा किया है अब तो उसे और भी गुस्सा आया और उसने पुजारी जी की  परीक्षा लेने के लिए कि बाल असली है या नकली,जैसे ही एक बाल तोडा तो बिहारी जी के सिर से खून कि धार बहने लगी और बिहारी जी के श्री विग्रह से आवाज आई कि,"हे
राजा तुमने आज तक मुझ केवल एक मूर्ति ही समझा इसलिए आज से मैं तुम्हारे लिए मूर्ति ही हूँ और पुजारी जी की सच्ची भक्ति से भगवान बड़े प्रसन्न हुए।"

मंदिर में बैठे भगवान केवल एक पत्थर की मूर्ति नहीं है, उन्हें इसी भाव से देखो की वे साक्षात बिहारी जी है और वैसे ही उनकी सेवा करो।