प्रेममय सेवा-भक्ति नष्ट हो जाती है ......


सनातन धर्म एक ही धर्म

जब कोई भक्त निम्नांकित छः क्रियायों में अतिशय लिप्त हो जाता है तो प्रभु में उसकी प्रेममय सेवा-भक्ति नष्ट हो जाती है |

(1) आवश्यकता से अधिक खाना या आवश्यकता से अधिक धन संग्रह करना ;

(2) कठिनता से प्राप्त होने वाले सांसारिक पदार्थों के लिए अत्यधिक श्रम करना 

(3) सांसारिक विषयों के बारे में व्यर्थ बातें करना ;

(4) आध्यात्मिक प्रगति के लक्ष्य से न करके केवल पालन करने लिए शास्त्र विधियों का पालन करना अथवा शास्त्रविधियों का उल्लंघन करके प्रमाद पूर्वक उच्छृङखल आचरण करना

(5) परमात्मा की भावना से विमुख सांसारिक लोगों की संगति करना और

(6) सांसारिक उपलब्धियों के लिए लालच करना