नैतिक जीवन और आत्म-निरीक्षण

आध्यात्मिक रूप से विकास करने के लिए नैतिक जीवन जीना एक मूलभूत आवश्यकता है। पुरातन काल से ही संत-महापुरुष नैतिक गुणों से भरपूर जीवन गुज़ारने को बहुत महत्त्व देते आए हैं। यदि हम प्रत्येक दिन के अंत में अपने विचारों, वचनों और कार्यों का निरीक्षण करें, तथा अहिंसा, सच्चाई, पवित्रता, नम्रता और निष्काम सेवा के क्षेत्रों में स्वयं द्वारा हुई ग़लतियों का अनुभव करें, तो हम अगले दिन अपनी ग़लतियाँ सुधारने और बेहतर व्यवहार करने के लिए प्रेरित होंगे। इन क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए आत्म-निरीक्षण डायरी हमारे लिए एक मददगार उपाय साबित होता है।