ब्रह्मकुंड एवं हर की पौड़ी के चारों ओर भगावन विष्णु, ब्रह्मा, शिव, गंगा, दुर्गा के खूबसूरत मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों में संगमरमर के पत्थरों पर सुंदर आकृतियाँ उकेरी गई हैं। इस स्थल पर महिलाओं के स्नान के लिए विशेष घाट स्थित हैं। ब्रह्मकुंड की अद्भुत शक्ति में विश्वास रखने वाले श्रद्धालु यहाँ खिंचे चले आते हैं। कहते हैं कि इसमें नहाने से शारीरिक रोग दूर हो जाते है। श्रद्धालुजन इस पवित्र जल में स्नान करके पृथ्वी पर स्वर्ग की खुशियाँ प्राप्त करते हैं।
कहा जाता है कि इस स्थल पर गंगादेवी का स्वर्ग से धरती पर उतरते समय स्वयं ब्रह्मा ने स्वागत किया था। इसी प्रकार मान्यता है कि भगवान ने अमृत का घड़ा वहाँ पर रख दिया था। इसकी कुछ बूँदें इस कुंड में गिर गई थीं। ब्रह्मकुंड से दक्षिण की ओर अस्थि विसर्जन कार्यक्रम केलिए स्थल है। यहीं पर महाकुंभ का भी 12 साल में एक बार आयोजन होता है।
एक अन्य कथा के अनुसार राजा भर्तृहरि ने स्वर्ग से उतरकर पृ्थ्वी पर कठोर तपस्या की थी। उनकी स्मृति में राजा विक्रमादित्य ने हर की पौड़ी का निर्माण किया था। इन सीढि़यों को पत्थरों से निर्मित किया गया है।
हर की पौड़ी
गंगा नदी को श्रद्धालु माँ के रूप में पूजते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। इसलिए गंगा को पापमोचिनी भी कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहाँ के घाट पर अपने चरण स्पर्श किए थे। संध्या के समय हजारों श्रद्धालुजन यहाँ पर आरती करते हैं।
मनसादेवी का मंदिर
मनसादेवी को दुर्गा माता का ही रूप माना जाता है। शिवालिक पहाड़ पर स्थित इस मंदिर पर देश-विदेश से हजारों भक्त आकर पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान शिव की पुत्री मनसा देवी दुर्गा का एक रूप है। कहा जाता है कि यह मंदिर बहुत जागृत है। कोई भी भक्त माँ के द्वार से खाली नहीं लौटता है।