यमराज को आया देख मार्कन्डेय जी ने उनसे कहा, "कृपया करके आप मुझे शिव पूजन के लिए थोड़ा सा समय दें।"
यम नाराज होकर बोले," काल किसी का इंतजार नहीं करता और अपना पाश मार्कन्डेय जी पर फेंक दिया।"
जैसे ही मार्कन्डेय जी पर पाश गिरा जिस शिवलिंग का वह पूजन कर रहे थे तत्काल उसमें से स्वंय शिव जी प्रगट हो गये और अपने भक्त की प्राण रक्षा के लिए यमराज को त्रिशूल लेकर मारने के लिए दौड़ पड़े। यम शिव जी के प्रकोप से भयभीत हो क्षमा याचना करने लगा। तब शिव जी शांत हुए। ऐसे हैं काल के भी काल प्रभु महाकाल शिव