छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से रायपुर जाने वाले राज मार्ग पर दक्षिण की ओर 25 कि.मी.चलने के बाद एक गाँव पड़ता है - भोजपुर. यहाँ से अमेरीकापा के लिए बाईं ओर मार्ग बना हुआ है. इसी मार्ग पर 4 कि.मी. की दूरी पर मनियारी नदी के तट पर 6वीं सदी के देवरानी जेठानी मंदिरों का भग्नावशेष है. सन 1984 के लगभग यहाँ मलवा सफाई के नाम पर उत्खनन कार्य संपन्न हुआ था. इस अभियान में एक तो जेठानी मंदिर का पूरा स्थल विन्यास प्रकट हुआ और साथ ही कई अभूतपूर्व पुरा संपदा धरती के गर्भ से प्रकट हुई थी. स्थल से प्राप्त हुए मूर्तियों के विलक्षण सौंदर्य ने संपूर्ण भारत एवं विदेशी पुरावेत्ताओं को मोहित कर लिया था. देवरानी जेठानी मंदिरों के सामने, हालाकी वे भग्नावस्था में हैं, पूरे भारत में कोई दूसरी मिसाल नहीं है.
देवरानी मंदिर के अग्र भाग में बाईं ओर से एक विलक्षण भव्य प्रतिमा प्राप्त हुई जो भारतीय शिल्पशास्त्र के लिए भी एक चुनौती बनी हुई है. किसी पुराण में भी ऐसे किसी देव या दानव का उल्लेख नहीं मिलता और ना ही ऐसी कोई प्रतिमा भारत या विदेशों में पाई गयी है. सभी विद्वान केवल अटकलें लगा रहे हैं. कुछ नाम तो इस प्रतिमा को देना ही था इसलिए रुद्र शिव कहकर संबोधित किया जा रहा है.