महाशिवरात्रि पर सात रंग बदलता है शिवलिंग (खटीमा, ऊधमसिंहनगर)
चकरपुर स्थित ऐतिहासिक बनखंडी महादेव शिवमंदिर का शिवलिंग महाशिवरात्रि पर्व पर सात रंग बदलता है। इसके दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसी आस्था व विश्वास के चलते ही शिवरात्रि पर मंदिर में मत्था टेकने वालों भक्तों का सैलाब उमड़ता है। आसपास क्षेत्रों के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी जलाभिषेक करने यहां पहुंचते है।
इस शिव मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना थारु जनजाति द्वारा वर्ष 1830 में की गई थी। शिव भक्तों द्वारा एक शिवलिंग को नर्मदा से चकरपुर क्षेत्र के गांव नौगंवनाथ में स्थापित करने के लिए ले जाया जा रहा था। इसी दौरान यह शिवलिंग जंगल के रास्ते में गिर गया। जब लोग नौगांवनाथ गांव पहुंचे तो शिवलिंग को न पाकर भौचक्के रह गए। बताते हैं कि बाद में गांव वासियों ने शिवलिंग की खोजबीन शुरू कर दी। जिस जगह पर शिव मंदिर स्थापित है। वहां गांव वालों को शिवलिंग पड़ा हुआ मिला। लोगों ने जब शिवलिंग को उठाने की कोशिश की तो वह उठने के बजाए जमीन में और धंसने लगा। नौगंवानाथ में जहां शिवलिंग को स्थापित करने के लिए भूमि चयन की गई थी। वहां गुरु गोरखनाथ मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर के बारे में यह बताया जाता है कि चकरपुर क्षेत्र में रहने वाले थारु जनजाति के एक किसान की गाय पास के ही जंगल में चरने जाती थी। एक स्थान पर खड़ी होकर वह खुद ही दूध देने लगती थी। यह विचित्र समाचार पाते ही एक दिन लोगाें ने गाय का पीछा किया तो वह यह नजारा देखकर हैरत में पड़ गए। उस स्थान की सफाई करने पर वहां एक शिवलिंग दिखाई पड़ा। धीरे-धीरे लोगों ने इस शिवलिंग की पूजा शुरू कर दी। महाशिवरात्रि पर लाखों लोग यहां शीश नवांने आते है। बताया जाता है कि जब रोहिणी नक्षत्र में शिवरात्रि पड़ती है तो यह शिवलिंग सात रंग बदलता है। मंदिर के पुजारी बाबा पुष्कर गिरी बताते है कि उन्होंने स्वयं शिवलिंग के तीन रूप देखे है।