हमारे धर्म ग्रंथों में उल्लेख है कि कलयुग के अंत में भगवान विष्णु अवतरित होंगे तथा संसार को अधर्मियों से मुक्ति दिलाएंगे। महाभारत के वनपर्व में इस संदर्भ में विस्तृत उल्लेख आया है।
उसके अनुसार कलयुग के अंत में जब सत्य की हानि होने के कारण मनुष्यों की आयु थोड़ी हो जाएगी। (उस समय मनुष्य की आयु अधिक से अधिक सोलह वर्ष की होगी।) आयु की कमी के कारण मनुष्य पूर्ण विद्या का उपार्जन नहीं कर सकेंगे। सभी जातियाँ आपस में संतानोत्पादन कर वर्ण संकर हो जाएंगे, इनका विभाग करना कठिन हो जाएगा। गायों का दर्शन दुर्लभ हो जाएगा। कलियुग में वर-कन्या अपने -आप का स्वयंवर कर लेंगे। कोई भगवान का नाम नहीं लेगा। तप,यज्ञ, पूजन आदि बंद हो जाएंगे। ब्राह्मण व्रत-नियमों का पालन नहीं करेंगे। जब चहुंओर असत्य और अधर्म का साम्राज्य होगा। अधिकांश मनुष्य धर्महीन, मांसभोजी और शराब पीने वाले होंगे। उसी समय इस युग का अंत निकट होगा।
तब शम्भल नामक ग्राम में विष्णुयशा नाम के ब्राह्मण के घर में एक बालक का जन्म होगा। उसका नाम होगा कल्की विष्णुयशा। यह बालक बहुत ही बलवान, बुद्धिमान और पराक्रमी होगा। मन के द्वारा चिंतन करते ही उसके पास इच्छानुसार वाहन, अस्त्र-शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जाएँगे। वह ब्राह्मणों की सेना साथ लेकर संसार में सर्वत्र फैले हुए मलेच्छों का नाश कर डालेगा। वही सब दुष्टों का नाश करके सतयुग का प्रवर्तक होगा। यह ही भगवान की विष्णु का कल्की अवतार होगा।