किसी भी सिद्धांत का प्रमाण उसके वास्तविक अनुभव में ही निहित है। जीवन और मृत्यु से संबंधित प्रश्नों के केवल बौद्धिक उत्तर हमारे लिए पर्याप्त नहीं हैं। परंतु जब हम स्वयं उन सभी बातों का व्यक्तिगत अनुभव प्राप्त करते हैं जो हमने धर्मग्रंथों में पढ़ी हैं या पुरातन काल से आए महापुरुषों द्वारा वर्णित की गई हैं, तो हमें पक्का भरोसा हो जाता है और हमारा विश्वास दृढ़ हो जाता है। प्रमाण पाने के लिए हमें पुस्तके पढ़ने और व्याख्यान सुनने से आगे जाने की आवश्यकता है। संत-महापुरुष हमें ध्यान-अभ्यास की विधि सिखाकर स्वयं उस सच्चाई को अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं।