" परम धर्म " अलौकिक महाग्रंथ है | इसमें स्वयं परमात्मा का वास है | " परम धर्म " के पाठ से अदभुत प्राणशक्ति की उत्पत्ति होती है | इससे अतिश्रेष्ठ सकारात्मक ऊर्जा तरंगों का सृजन होता है | " परम धर्म " का पाठ करने वाला व्यक्ति इन सकारात्मक ऊर्जा तरंगों से ओत – प्रोत हो जाता है जिससे उसके व्यक्तित्व में दिव्य व अलौकिक आकर्षण पैदा होता है | इन पवित्र ऊर्जा तरंगों से भरकर वह जो भी कार्य करता है , सफलता उसमें निश्चित ही मिलती है | उसके मन के सभी नकारात्मक विचार दूर होने लगते हैं जिससे उसके लिये किसी भी कार्य को करना बहुत ही सरल हो जाता है | उसकी वाणी में सकारात्मक प्राणशक्ति के बढ़ने से उसकी बातचीत से सभी लोग प्रभावित होते हैं और उस व्यक्ति की ओर आकर्षित होते हैं | व्यक्ति आत्मविश्वास से भर जाता है और अपने सभी प्रयोजनों में सहज ही सफलता प्राप्त करता है |
जिस स्थान पर भी “ परम धर्म ” की स्थापना व पाठ होता है उस स्थान में भी सकारात्मक ऊर्जा तरंगें विद्यमान हो जाती हैं और सभी नकारात्मक उर्जाएं उस स्थान व घर से दूर भागती हैं जिससे उस स्थान पर रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होता है | गंभीर से गंभीर व लाईलाज रोग भी “परम धर्म ” के प्रभाव से ठीक हो जाते हैं | नकारात्मक ऊर्जा तरंगें चाहे स्थान दोष , वास्तु दोष या भाग्य दोष की वजह से हों, उस व्यक्ति का शरीर , मन तथा घर को छोड़कर दूर भागती हैं |
“ परम धर्म ” का पाठ सुनने मात्र से अदभुत सकारात्मक सोच मिलती है तथा उस स्थान पर बैठने की वजह से वहां की सकारात्मक उर्जाएं उस व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक शक्तियों से लड़कर उन्हें समाप्त करती हैं | इससे व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक रोग समाप्त होने लगते हैं |
“ परम धर्म ” के इतने अदभुत प्रभाव के बावजूद सर्वाधिक कठिन है तो यह क़ि “ परम धर्म ” की ओर उन्मुख होकर पहला कदम बढ़ाना | चूँकि व्यक्ति के अन्दर की समस्त नकारात्मक शक्तियाँ यह जानती हैं कि “ परम धर्म ” का पाठ सुनने व करने से उन्हें दूर भागना होगा इसलिए वे अपनी पूरी शक्ति लगा देती हैं कि जिस व्यक्ति के शरीर व मन में वे वास कर रही हैं वह व्यक्ति “ परम धर्म ” के निकट न जाने पाए | हांलाकि परमात्मा जिस व्यक्ति को चाहेंगे उसे प्रेरणा देकर "परम धर्म ” के समीप ले ही आएंगे | इसीलिये परमात्मा ने स्वयं अपने बच्चों को आदेश दिया है कि वे जाकर उनके दूसरे बच्चों को कष्टों व नकारात्मक शक्तियों के बंधनों से मुक्त कराकर “ परम धर्म ” से उनके जीवन को लाभान्वित कराएँ |
परमात्मा के आदेशानुसार किये जा रहे “ परम धर्म ” के प्रचार प्रसार में सहयोगी बना व्यक्ति तत्काल अपने जीवन में परिवर्तन अनुभव करता है और उससे उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा के कारण उसे “ परम धर्म ” के समीप आने में सहायता मिलती है |