धर्मयात्रा की इस बार की कड़ी में हम आपको ले चलते हैं ग्राम भौरासा में, जहां पर स्थित है प्राचीन भंवरनाथ का मंदिर। जिसके बारे में अनेक किंवदंतियां प्रचलित है।
मालवांचल के गांव भौंरासा में स्थित है भंवरनाथ जी का मंदिर। कहते हैं कि इस स्थान पर भंवरालाल महाराज ने समाधि है। भंवरलाल को भंवरसिंह भी कहा जाता था, क्योंकि वह राजपूत समाज से थे। यहां पर राजा मानसिंह ने भंवरनाथ की चांदी की प्रतिमा भी भेंट की थी। यह प्रतिमा आज भी मंदिर में स्थित है। इसके अलावा यहां मनकामनेश्वर भगवान की मूर्ति भी है।
ऐसी भी मान्यता है कि उज्जैन के राजा नल और उनकी पत्नी दमयंति ने अपना अज्ञातवास इसी क्षेत्र में बिताया था। यह क्षेत्र कई संतों की तपस्थली भी रहा है।
भंवरनाथ मंदिर के कारण ही उक्त गांव का नाम भंवरासा (भौंरासा) पड़ा। इस मंदिर से जुड़ी अनेक चमत्कारिक घटनाएं है। यहां के गांव में एक घटना यह भी प्रसिद्ध है कि औरंगजेब ने इस मंदिर पर आक्रमण किया और कुल्हाड़ी से शिवलिंग पर वार किया, तब अचानक शिवलिंग से रक्त की धारा फूट पड़ी। यह देख औरंगजेब घबरा गया फिर वह यह स्थान छोड़कर चला गया।
औरंगजेब द्वारा शिवलिंग पर किया गया वार का निशान आज भी वहां मौजूद है। यह ग्राम भी बौद्धकालीन ग्राम माना जाता है, इसीलिए आज भी यहां जगह-जगह पुरातन अवशेष मौजूद है।